चाणक्य नीति 
 तृतीय अध्याय
 तृतीय अध्याय 
 श्लोक : १६
श्लोक : १६ 
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन विह्निना।
दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यधा।।१६।।
 भावार्थ – जंगल में आग लगने पर जैसे वहाँ का एक ही सूखा पेड़ पूरे जंगल को जलाने के लिए पर्याप्त है, उसी तरह कुटुंब को जलाने के लिए एक ही कुपूत काफी है।
भावार्थ – जंगल में आग लगने पर जैसे वहाँ का एक ही सूखा पेड़ पूरे जंगल को जलाने के लिए पर्याप्त है, उसी तरह कुटुंब को जलाने के लिए एक ही कुपूत काफी है।