आज का हिन्दू पंचांग
दिनांक – 27 दिसम्बर 2023
दिन – बुधवार
विक्रम संवत् – 2080
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – शिशिर
मास – पौष
पक्ष – कृष्ण
तिथि – प्रतिपदा 28 दिसम्बर प्रातः 06:46 तक तत्पश्चात द्वितीया
नक्षत्र – आर्द्रा रात्रि 11:29 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग – ब्रह्म 28 दिसम्बर प्रातः 02:41 तक तत्पश्चात इन्द्र
राहु काल – दोपहर 12:41 से 02:01 तक
सूर्योदय – 07:19
सूर्यास्त – 06:0
दिशा शूल – उत्तर
ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:32 से 06:26 तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:14 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण – जोरमेला (पंजाब)
विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34
दरिद्रा देवी कहाँ निवास करती है ?
समुद्र-मंथन करने पर लक्ष्मीजी की बड़ी बहन दरिद्रा देवी प्रकट हुई । वे लाल वस्त्र पहने हुए थी । उन्होंने देवताओं से पूछा : “मेरे लिए क्या आज्ञा हैं ?”
तब देवताओं ने कहा : “जिनके घर में प्रतिदिन कलह होता हो उन्हीं के यहाँ हम तुम्हें रहने के लिए स्थान देते हैं । तुम अमंगल को साथ लेकर उन्हीं घरों में जा बसों । जहाँ कठोर भाषण किया जाता हो, जहाँ के रहनेवाले सदा झूठ बोलते हों तथा जो मलिन अंत:करणवाले पापी संध्या के समय सोते हों, उन्हींके घर में दुःख और दरिद्रता प्रदान करती हुई तुम नित्य निवास करो । महादेवी ! जो खोटी बुद्धिवाला मनुष्य पैर धोये बिना ही आचमन करता है, उस पापपरायण मानव की ही तुम सेवा करो अर्थात उसे दुःख-दरिद्रता प्रदान करो ।” ( पुद्मपुराण, उत्तर खंड, अध्याय २३२) (हमारा आचार-व्यवहार व रहन-सहन कैसा हो यह जानने हेतु पढ़ें आश्रम से प्रकाशित सत्साहित्य ‘मधुर व्यवहार’ व ‘क्या करें , क्या न करे ?”)
शांति के साथ आर्थिक सम्पन्नता लाने हेतु सोते समय सिरहाने के पास किसी सफेद कागज में थोड़ा-सा कपूर रखें और प्रात: उसे घर से बाहर जला दें । इससे घर में शांति के साथ आर्थिक सम्पन्नता आती है ।
याद न रहने के मूल कारण क्या ?
१] मनोयोग का अभाव
२] रूचि का अभाव
३] एकाग्रता का अभाव
४] संयम का अभाव नहीं तो बहुत कुछ याद रह सकता है । इसमें कोई जादूगरी नहीं है, कोई चमत्कार नहीं हैं । स्मृतिकेंद्र को विकसित करनेवाला मंत्र ले लिया, ज्ञानतंतुओं को शुद्ध करनेवाला ‘ॐ गं गणपतये नम: …. ॐ गं गणपतये नम: ….’ जप करके थोडा ध्यान किया तो यह स्मृतिशक्ति बढ़ाना आदि या परीक्षा में अच्छे अंक लाना – यह कोई बड़ी बात नही हैं ।
बल-वीर्यवर्धक प्रयोग
मुलहठी चूर्ण व अश्वगंधा चूर्ण 5-5 ग्राम लेकर उसमें थोड़ा सा घी मिला के चाटें और ऊपर से 1 गिलास मिश्री मिला हुआ दूध पी लें। यह प्रयोग लगातार 60 दिनों तक सुबह शाम करने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है और शरीर पुष्ट होता है ।
” ll जय श्री राम ll “