IUNNATI ADHYATMIK UNNATI सुगंधा शक्तिपीठ माता का महत्व,पौराणिक कथा

सुगंधा शक्तिपीठ माता का महत्व,पौराणिक कथा

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सुगंधा शक्तिपीठ माता का महत्व,पौराणिक कथा

सुगंधा शक्तिपीठ बांग्लादेश के बरिशाल जिले में स्थित है। यहाँ का ऐतिहासिक महत्व बहुत ऊँचा है। इस शक्तिपीठ में माँ सती का नाम सुगंधा है और यहाँ पर उनकी नासिका गिरी थी। 

यह स्थान प्रत्येक वर्ष बहुतायत संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा यात्रा किया जाता है। यहाँ पर भगवान शिव और माँ सती की पूजा अवश्य की जाती है।
 

इस मंदिर में बांग्लादेश के हजारों श्रद्धालु दिन भर आते हैं और भगवान शिव-पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं। यहां पर भगवान शिव-पार्वती की मूर्तियाँ स्थापित हैं और अगर्भगृह में माँ सती की पूजा की जाती है।

सुगंधा शक्तिपीठ का दौरा करने से श्रद्धालु अपने मन को शुद्ध करते हैं, और अपने आध्यात्मिक जीवन में उन्नति के लिए प्रार्थना करते हैं।

 इस स्थान पर स्थिति भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

सुगंधा शक्तिपीठ मंदिर अपने संरचना में बहुत ही सरल और आकर्षक होता है। यह मंदिर आमतौर पर छोटे से बड़े आकार का होता है, जिसमें एक केंद्रीय गर्भगृह होता है जो माँ सती की मूर्ति को स्थापित किया जाता है।
 
 इसके चारों ओर एक छोटा सा मंच या पवित्र स्थान होता है जहां श्रद्धालु पूजा और ध्यान करते हैं।

कथा ( सुगंधा शक्तिपीठ )

सुगंधा शक्तिपीठ की पौराणिक कथा भारतीय पुराणों में प्रसिद्ध है। यह कथा माँ सती और उनके पति भगवान शिव के बीच के एक घटना से जुड़ी है।

एक बार माँ सती की पुण्यजन्मिनी बनारस में एक अग्नियज्वाला के रूप में प्रकट हुईं। उन्होंने अपने पिता राजा दक्ष के आयोजित यज्ञ में अपने पति को जाने की इच्छा व्यक्त की,

 लेकिन उन्हें यज्ञ स्थल पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। इस पर माँ सती ने अपनी आत्मा को जल चढ़ाने का कार्य किया और अपने शरीर को भस्म कर दिया।

भगवान शिव ने जब इसके बारे में जाना, तो वे बहुत दुःखी हो गए और उन्होंने माँ सती के शरीर को अपने कंधों पर ले लिया। उनके विशाल शिवधाम का भ्रमण करते समय माँ सती के शरीर के अलग-अलग अंग का पतन हो गया, 

और जिधर अंग गिरा उसी स्थान पर शक्तिपीठ स्थापित हुआ। एवं माँ सती की नासिका यहाँ पर गिरी थी और वहां सुगंधा शक्तिपीठ का निर्माण हुआ।

यह कथा सुगंधा शक्तिपीठ के स्थापना के पीछे का पौराणिक कारण है।

पहुँचने का मार्ग

सुगंधा शक्तिपीठ मंदिर को पहुंचने के लिए आपको बरिशाल जिले, बांग्लादेश के बरिशाल शहर को पहले पहुंचना होगा। बरिशाल शहर से आपको मंदिर तक रोड या गाड़ी का सहारा लेना होगा। 

बरिशाल शहर से मंदिर तक की दूरी लगभग २५-३० किलोमीटर है, जो आमतौर पर टैक्सी, ऑटोरिक्शा, रिक्शा या प्राइवेट वाहन में आसानी से पहुंची जा सकती है।

सुगंधा शक्तिपीठ मंदिर बरिशाल शहर के पास है, इसलिए यहाँ पहुंचना काफी सरल है। आप स्थानीय लोगों या होटल में स्थानीय परिवहन के बारे में पूछ सकते हैं। 

वहां पहुंचने के बाद, आपको मंदिर तक पैदल या रास्ते पर बसें और ऑटोरिक्शे का सहारा लेते हुए जाना होगा। आप भी अपनी पसंद के अनुसार किसी स्थानीय गाइड की सहायता ले सकते हैं, जो आपको मंदिर तक पहुंचाने में मदद करेगा।

Sugandha Shaktipeeth

Sugandha Shaktipeeth is located in Barishal district of Bangladesh. Its historical importance is very high. The name of Maa Sati in this Shaktipeeth is Sugandha and her nose fell here.
 
This place is visited by a large number of devotees every year. Lord Shiva and Maa Sati are definitely worshipped here. Thousands of devotees from Bangladesh come to this temple throughout the day and worship Lord Shiva-Parvati.
 
 
The idols of Lord Shiva-Parvati are installed here and Maa Sati is worshipped in the sanctum sanctorum. By visiting Sugandha Shaktipeeth, devotees purify their mind, and pray for advancement in their spiritual life.
 
The situation at this place is an important part of Indian religious and cultural heritage. Sugandha Shaktipeeth temple is very simple and attractive in its structure. This temple is usually of small to large size,
 
with a central sanctum sanctorum in which the idol of Maa Sati is installed. Around it there is a small platform or sacred place where devotees worship and meditate. Story The legend of Sugandha Shaktipeeth is famous in Indian mythology.
 
This story is related to an incident between Maa Sati and her husband Lord Shiva. Once the virtuous mother of Maa Sati appeared in Banaras in the form of a fire flame.
 
She expressed her desire to go to the yagya organized by her father King Daksha with her husband, but she was not allowed to enter the yagya site.
 
On this, Maa Sati offered water to her soul and burnt her body. When Lord Shiva came to know about this, he became very sad and he took the body of Maa Sati on his shoulders.
 
While visiting his huge Shivdham, different parts of Maa Sati’s body fell, and wherever the body parts fell, a Shaktipeeth was established at that place. And Maa Sati’s nose had fallen here and Sugandha Shaktipeeth was formed there.
 
This story is the mythological reason behind the establishment of Sugandha Shaktipeeth. How to reach To reach Sugandha Shaktipeeth Temple, you have to first reach Barishal city of Barishal district, Bangladesh.
 
From Barishal city, you have to take the help of road or vehicle to reach the temple. The distance from Barishal city to the temple is about 25-30 kilometers, which can usually be easily reached in taxi,
 
autorickshaw, rickshaw or private vehicle. Sugandha Shaktipeeth Temple is near Barishal city, so reaching here is quite easy. You can ask local people or hotels about local transport. After reaching there,
 
you have to go to the temple on foot or by taking buses and autorickshaws on the way. You can also take the help of a local guide as per your choice, who will help you reach the temple.
 

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