भारत के भव्य, दिव्य, अकल्पनीय मन्दिर :
श्री वडक्कुनाथन मन्दिर, त्रिशूर(केरल)
_”भारत के भव्य और अकल्पनीय मन्दिरों से हिन्दुओं परिचय करवाने की इस श्रृंखला में आज हम आपका परिचय करवा रहे हैं त्रिशूर केरल के श्री वडक्कुनाथन मन्दिर से जो शिल्पकला, विज्ञान व भक्ति का अद्वितीय मेल है “_ वडकुनाथन से तात्पर्य “उत्तर के नाथ” से है जो भगवान शिव का निरूपण करता है, श्री वडक्कुनाथन मंदिर, केरल के त्रिशूर में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है, जो उत्कृष्ट कला तथा वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जो केरल की प्राचीन शैली को दर्शाता है।
वर्तमान मंदिर 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। मान्यता अनुसार भगवान परशुराम ने स्वयं इसके मूल मन्दिर की स्थापना की थी, जिसका पुनर्निर्माण होता गया व आदिशङ्कराचार्य के माता-पिता ने भी सन्तान प्राप्ति के लिए यहां अनुष्ठान किये थे। यह देव स्थल केरल के सबसे पुराने और उत्तम श्रेणी के मंदिरों में गिना जाता है। श्री वडक्कुनाथन मन्दिर, यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। इस प्राचीनतम मंदिर के उत्कृष्ट संरक्षण के लिए भारत को यूनेस्को द्वारा 2015 में अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस भी मिल चुका है।
1000 से भी अधिक वर्ष पुराने इस मन्दिर की दीवारों पर गर्भस्थ शिशु की प्रत्येक माह की स्थिति दर्शाती प्रस्तर प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं। कल्पना करें X-RAY की खोज से सहस्र वर्ष पूर्व ये जानकारी तात्कालिक लोगों को कैसे मिली होगी? उत्तर है— परमात्मा के ध्यान में लीन योगियों को प्राप्त दिव्यदृष्टि!!* श्री वडक्कुनाथन मन्दिर इस बात की पुष्टि करता है सनातन धर्म संसार का सबसे प्राचीन प्रथम व अन्तिम वैज्ञानिक धर्म है। सनातन ने ही सर्वप्रथम विश्व को ज्ञान-विज्ञान दिया,जीवन जीने की दृष्टि दी *भारत के अद्भुत, अकल्पनीय, ऐतिहासिक मन्दिरों से सम्बंधित इस श्रृंखला का उद्देश्य, दशकों की इस्लामी-ईसाई गुलामी के कारण आत्मकुंठा में डूबे धिम्मी हिंदुओं को सदियों पुराने भव्य-दिव्य मन्दिरों के माध्यम से अपने महान हिन्दू पूर्वजों के समर्पण, कला-कौशल, पुरुषार्थ, जिजीविषा व भक्ति परम्परा के अक्षुण्ण गौरवशाली इतिहास से परिचित करवाकर उन्हें इतिहासबोधसम्पन्न गर्वित हिन्दू बनाना है।
*जय सनातन
जय हिन्दू राष्ट्र