शुभ रात्रि वंदन
आपका विचार शुभ हो
साधारण भारतीय के लिए पुरुषार्थ चार होते हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। फलस्वरूप, परमार्थ एवं विश्व-कल्याण इन लोगों के लिए स्वाभाविक होता है। अर्थ तथा काम के लिए ये कर्मरत होते हैं किन्तु, धर्म के अनतर्गत ही। कारण यह होता है कि इन्हें सर्वदा मोक्ष की लालसा होती है तथा इन्हें विश्वास रहता है की मोक्ष इन्हें धर्म-सांगत कर्मों से प्राप्त होगा।
जब कि साधारण पाश्चात्य लोगों के अनुसार पुरुषार्थ मात्र दो होते हैं, अर्थ और काम| फलस्वरूप, इनमें स्वार्थ की भावना होती है तथा परमार्थ अथवा विश्व-कलयाण इनके लिए कोई महत्व नहीं रखता| इनके कर्म अर्थोपार्जन तथा विभिन्न कामनाओं की तुष्टि से प्रेरित होते हैं| मोक्ष का इन्हें ज्ञान ही नहीं होता अतएव, ये उस दिशा में सोच भी नहीं पाते।
वेद मंत्र
ओ३म् विश्वे देवा नो अद्या स्वस्तये वैश्वानरो वसुरग्नि: स्वस्तये। देवा अवन्त्वृभव: स्वस्तये स्वस्ति नो रूद्र: पात्वंहस:।( ऋग्वेद ५|५१|१३ )
अर्थ :- आज सब विद्वान लोग हमारे कल्याण के लिए हो, सब मनुष्यों में वर्तमान सर्वव्यापक ज्ञान- स्वरूप परमात्मा हमारा कल्याण करें। मेधावी विद्वान सुख के लिए हमारी रक्षा करें। दुष्टों को दण्ड देने वाला प्रभु ! हमें पापों से सदा दूर रखें ताकि हमारा सदा कल्याण हो।
शुभ रात्रि वंदन
देवभूमि भारतम्
ओ३म् सर्वेभ्यो नमः
कृण्वन्तोविश्मार्यम जय श्री श्याम देवाय नमः जय आर्यावर्त जय भारत