IUNNATI SHIV PURAN शिव पुराण बीसवां अध्याय : शिव सती का विदा होकर कैलाश जाना

शिव पुराण बीसवां अध्याय : शिव सती का विदा होकर कैलाश जाना

शिव पुराण 

 बीसवां अध्याय- श्री रूद्र संहिता (द्वितीय खंड)

विषय:-शिव सती का विदा होकर कैलाश जाना

ब्रह्माजी बोले- हे महामुनि नारद! मुझे मेरा मनोवांछित वरदान देने के पश्चात भगवान शिव अपनी पत्नी देवी सती को साथ लेकर अपने निवास स्थान कैलाश पर्वत पर जाने के लिए तैयार हुए। तब अपनी बेटी सती व दामाद भगवान शिव को विदा करते समय प्रजापति दक्ष ने अपने हाथ जोड़कर और मस्तक झुकाकर महादेव जी की भक्तिपूर्वक स्तुति की।

साथ ही श्रीहरि सहित सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों ने हर्ष से प्रभु का जय-जयकार किया। भगवान शिव ने अपने ससुर प्रजापति दक्ष से आज्ञा लेकर अपनी पत्नी को अपनी सवारी नंदी पर बैठाया और स्वयं भी उस पर बैठकर कैलाश पर्वत की ओर चले गए। उस समय वृषभ पर बैठे भगवान शिव व सती की शोभा देखते ही बनती थी। उनका रूप मनोहारी था। सब मंत्रमुग्ध होकर उन दोनों को जाते हुए देख रहे थे। प्रजापति दक्ष और उनकी पत्नी अपनी बेटी व दामाद के अनोखे रूप पर मोहित हो उन्हें एकटक देख रहे थे। उनकी विदाई पर चारों ओर मंगल गीत गाए जा रहे थे। विभिन्न वाद्य यंत्र बज रहे थे। सभी बाराती शिव के कल्याणमय उज्ज्वल यश का गान करते हुए उनके पीछे-पीछे चलने लगे।

 भगवान शिव देवी सती के साथ अपने निवास कैलाश पर पहुंचे। सभी देवता सहित मैं और विष्णुजी भी कैलाश पर्वत पर पहुंचे। भगवान शिव ने उपस्थित सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों का हृदय से धन्यवाद किया। भगवान शिव ने सभी को सम्मानपूर्वक विदा किया। तब सभी देवताओं ने उनकी स्तुति की और प्रसन्नतापूर्वक अपने-अपने धाम को चले गए। तत्पश्चात भगवान शिव और देवी सती सुखपूर्वक अपने वैवाहिक जीवन का आनंद उठाने लगे।

 सूत जी कहते हैं – हे मुनियो ! मैंने तुम्हें भगवान शिव के शुभ विवाह की पुण्य कथा सुनाई है। भगवान शिव का विवाह कब और किससे हुआ? वे विवाह के लिए कैसे तैयार हुए? इस प्रकार मैंने सभी प्रसंगों का वर्णन तुमसे किया है। विवाह के समय, यज्ञ अथवा किसी भी शुभ कार्य के आरंभ में भगवान शिव का पूजन करने के पश्चात इस कथा को जो सुनता अथवा पढ़ता है उसका कार्य या वैवाहिक आयोजन बिना विघ्न और बाधाओं के पूरा होता है। इस कथा के श्रवण से सभी शुभकार्य निर्विघ्न पूर्ण होते हैं। इस अमृतमयी कथा को सुनकर जिस कन्या का विवाह होता है वह सुख, सौभाग्य, सुशीलता और सदाचार आदि सद्गुणों से युक्त हो जाती है। भगवान शिव की कृपा से पुत्रवती भी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

भगवान शिव और शंकर

भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है?भगवान शिव और शंकर में क्या भेद है?

भगवान शिव से जुड़ी जानकारी सदाशिव जी ने सृष्टि की स्थापना, पालना और विलय के लिए क्रमश: ब्रह्मा, विष्णु और महेश नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की। इस तरह

बारात का ठहरना

शिव पुराण अध्याय तिरपन : बारात का ठहरना और हिमालय का बारात को विदा करनाशिव पुराण अध्याय तिरपन : बारात का ठहरना और हिमालय का बारात को विदा करना

शिव पुराण अध्याय तिरपन – श्री रूद्र संहिता (तृतीय खंड) विषय: बारात का ठहरना और हिमालय का बारात को विदा करना ब्रह्माजी बोले- जब करुणानिधान भगवान शिव जनवासे में पधार गए तो हम

शिव पुराण बारहवां अध्याय द्वितीय खंडशिव पुराण बारहवां अध्याय द्वितीय खंड

शिव पुराण   बारहवां अध्याय – श्री रूद्र संहिता (द्वितीय खंड)  विषय:- दक्ष की तपस्या नारद जी ने पूछा- हे ब्रह्माजी ! उत्तम व्रत का पालन करने वाले प्रजापति दक्ष ने