IUNNATI ADHYATMIK UNNATI काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर

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विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

विश्वनाथ मंदिर भारत के वाराणसी शहर में स्थित है और यह हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के काशी नगर में स्थित है।

कुछ महत्वपूर्ण बातें

1.महत्व

विश्वनाथ मंदिर को “काशी विश्वनाथ” भी कहा जाता है और इसे भगवान शिव का प्रमुख मंदिर माना जाता है।

3. स्थान

मंदिर का स्थान काशी नगर के हृदय स्थल में है, जिसे लोग अंतराष्ट्रीय रूप से भी प्राचीन और पवित्र मानते हैं

ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ मंदिर का गौरवशाली उपनाम “काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग” है। यह महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंगों में से एक है। 
 
भगवान शिव की आराधना
मंदिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष रूप से की जाती है, और लाखों भक्त यहाँ आकर अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करते हैं। 
 

काशी का राजा

इस मंदिर के पुरातात्विक और सांस्कृतिक महत्व का इस बात से पता चलता है कि काशी नगर का नाम स्वयं इस मंदिर के नाम पर पड़ा है। काशी के राजा विश्वनाथ सिंह ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। विश्वनाथ मंदिर का दौरा करना अपने आप में एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव है, और यह दुनियाभर के शिव भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
 
काशी विश्वनाथ मंदिर का विध्वंश बारंबार होने के बावजूद, विश्वनाथ मंदिर ने अपनी महत्वपूर्णता और स्थानीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक समृद्धि को जीवित रखा।

मुघल साम्राज्य के दौरान मंदिर पर आक्रमण

मुघल साम्राज्य के समय में, विश्वनाथ मंदिर को कई  बार धवस्त करने की कोशिश की गई।
औरंगजेब के शासनकाल में, मंदिर को कई बार धवस्त की जाने की कोशिशें की गईं।

बनारसी राजा का योगदान

बनारस के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने 18वीं सदी में विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया और इसे स्थापित किया।

हिन्दू महासभा
अंग्रेजी साम्राज्य के दौरान, विश्वनाथ मंदिर के प्रति हिन्दू समुदाय की आस्था को बनाए रखने के लिए हिन्दू महासभा ने बहुत यात्राएँ और प्रदर्शनो का आयोजन किया।
 
स्वतंत्रता संग्राम
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, काशी विश्वनाथ मंदिर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत के रूप में कार्य किया। 
 

स्थापना और सुरक्षा

स्थानीय राजा और सरकार ने मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं ताकि इसे धार्मिक स्थल के रूप में बनाए रखा जा सके।
 

काशी विश्वनाथ मंदिर तक जाने के लिए हवाई,रेल और सड़क मार्ग

1.हवाई मार्ग

वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई विमानक्षेत्र (वाराणसी हवाई अड्डा) स्थित है। यह हवाई अड्डा विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए एक महत्वपूर्ण नोड है। वाराणसी हवाई अड्डा से आप टैक्सी या कैब का उपयोग करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

2.सड़क मार्ग

काशी विश्वनाथ मंदिर के निकटतम आधिकारिक सड़कीय मार्ग वाराणसी शहर से होता है। वाराणसी शहर से तम्बेहवान स्ट्रीट के माधवपुर चौक तक कैब, ऑटोरिक्शा या बस का उपयोग करके पहुंचा जा सकता है। इसके बाद, मंदिर तक चलने के लिए पैदल यात्रा की जा सकती है या फिर किराएदार साइकिल या टेंपो की सेवा भी उपलब्ध है।

3.रेल मार्ग

वाराणसी रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य स्टेशनों में से एक है, और यह शहर के अन्य क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। यहाँ से, यात्री मंदिर तक कई तरह के ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि टैक्सी, ऑटोरिक्शा, बस, या पैदल चलकर। वाराणसी रेलवे स्टेशन से मंदिर तक का दूरी लगभग 5 किलोमीटर है, और इसे विभिन्न ट्रांसपोर्ट विकल्पों के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

Kashi Vishanath Temple

Shiva is the subject of the Hindu shrine Kashi Vishwanath shrine. It is situated in Varanasi, Uttar Pradesh, India’s Vishwanath Gali. One of the twelve Jyotirlinga shrines, the temple is a Hindu pilgrimage place. The names Vishwanath and Vishweshwara (IAST: Viśvanātha and Viśveśvara), which literally translate to “Lord of the Universe,” are used to refer to the ruling deity.

The Mughal Emperor Aurangzeb had destroyed the temple multiple times, most recently when he built the Gyanvapi Mosque on its location.[1] The Maratha emperor Ahilyabai Holkar of Indore erected the present building on a nearby plot around 1780.[2]

The Uttar Pradesh government appointed a board of trustees to oversee the temple’s management beginning in 1983.[3] January 1, 2023: An all-time high of 3.35 lakh

Varanasi is thought to have been the site of the first Jyotirlinga manifestation.[7] In front of Brahma, the Hindu deity of creation, and Vishnu, the Hindu god of preservation, during a dispute over who was superior, is where Shiva, the Hindu god of destruction, is said to have appeared as an endless column of light (Jyotirlinga).[8]

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