IUNNATI JYOTIRLINGA लिंगराज मंदिर की कथा

लिंगराज मंदिर की कथा

लिंगराज मंदिर की कथा post thumbnail image

भारत का वह मंदिर जहां ग़ैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है

लिंगराज मंदिर की कथा, वास्तुकला,इतिहास और पहुँचने का मार्ग

लिंगराज मंदिर ओडिशा, भारत में स्थित है और यह भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारतीय स्थापत्यकला और वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है और ओडिशा के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। लिंगराज मंदिर को यहां के लोग साधु मंदिर के रूप में भी जानते हैं। 
इस मंदिर का वर्णन छठी शताब्दी के लेखों में भी आता है।
 
 मंदिर का निर्माण करीब 11वीं सदी में हुआ था और इसका आकार विशाल है। मंदिर में शिव लिंग की पूजा की जाती है और यहां के लोग इसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक मानते हैं। लिंगराज मंदिर ओडिशा के राजा राजेन्द्र चोड़ीक द्वारा निर्मित योजनाएं और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं। मंदिर की स्थिति और इसका महत्व ओडिशा के परंपरागत सांस्कृतिक और धार्मिक विवादों का भी केंद्र बना हुआ है।
 
 ओडिशा का यह लिंगराज मंदिर, पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की तरह ही कड़े नियमों के लिए जाना जाता है। यहाँ गैर-हिंदुओं का प्रवेश पूर्णतः वर्जित है लेकिन मंदिर के बाहर एक बड़ा चबूतरा है, जहाँ से गैर-हिन्दू मंदिर के अंदर के दिव्य वातावरण के दर्शन कर सकते हैं। यहाँ का महाप्रसादम भी भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। उसे मिट्टी के बर्तनों में पुजारियों द्वारा तैयार किया जाता है। पहले इसका भोग भगवान को लगाया जाता है, फिर भक्तों को बाँटा जाता है।

मंदिर से जुड़ी धार्मिक कथा

मंदिर के विषय में एक धार्मिक मान्यता है कि लिट्टी तथा वसा नाम के दो राक्षसों से माता पार्वती का भीषण युद्ध हुआ। माता पार्वती ने इन दोनों राक्षसों का वध इसी स्थान पर किया लेकिन युद्ध के कारण माता पार्वती को प्यास लगी। ऐसी स्थिति में माता पार्वती की सहायता करने के लिए भगवान शिव ने कूप का रूप धारण कर लिया और सभी नदियों को योगदान देने के लिए वहीं बुला लिया। इसके बाद से इस स्थान पर भगवान शिव कीर्तिवास के रूप में पूजे जाने लगे। बाद में भगवान शिव को हरिहर या भुवनेश्वर के रूप में जाना गया। मंदिर में भगवान शिव के अलावा भगवान विष्णु की मूर्तियाँ भी विराजित हैं। 
 
मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है एक महान शिवलिंग, जो स्वयंभू माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के गर्भगृह में स्थापित 8 फुट मोटे शिवलिंग में देश के विभिन्न कोनों में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अंश समाहित हैं। यही कारण है कि यहाँ भगवान शिव को लिंगराज कहा जाता है।
 
कलिंग युद्ध, जिसे कई बार कलिंग के युद्ध के रूप में भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण संघर्ष था जो 17वीं सदी के मध्य में मुघल साम्राज्य और कलिंग (ओडिशा क्षेत्र) के बीच हुआ। इस युद्ध का प्रमुख परिणाम था कि कलिंग या उड़ीसा में हिन्दू धर्म और सांस्कृतिक परंपरा को संरक्षित रखा गया और मुघल साम्राज्य का प्रभाव कमजोर हुआ। लिंगराज मंदिर, जो भूमि में धरी हुई भगवान शिव की मूर्ति की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, भी इस युद्ध के समय बना था।
 

कलिंग युद्ध और लिंगराज मंदिर के बीच संबंध

1.मुघल साम्राज्य के प्रति संघर्ष

मुघल साम्राज्य के विरुद्ध एक स्वतंत्रता संग्राम था जो शिवाजी और अन्य हिन्दू राजा द्वारा नेतृत्व किया गया था। इस संघर्ष में कलिंग क्षेत्र का उदीया राजा गजापति मुख्य रूप से शिरकत करते थे। इसके बावजूद, कलिंग युद्ध के बाद भी मुघल साम्राज्य ने कई बार क्षेत्र में हमले किए।
 

2. लिंगराज मंदिर का निर्माण

लिंगराज मंदिर का निर्माण कलिंग युद्ध के समय में हुआ था और इसे गजापति ने बनवाया था। यह मंदिर कलिंग क्षेत्र के हिन्दू सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों में से एक बन गया है और आज भी यात्री और भक्तों की भीड़ समेटता है। लिंगराज मंदिर का निर्माण कलिंग युद्ध के पश्चात्ताप और संरक्षण की भूमि में किया गया था, जिससे यह स्थान हिन्दू धर्म और संस्कृति के प्रति मुघल आक्रमण के बावजूद स्थायी बना रहा है।

मंदिर तक पहुँचने के मार्ग
वायुमान
भुवनेश्वर नगर में एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जिससे आप एयरवेज के साथ यहां पहुँच सकते हैं। 
 
रेलवे

भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के मुख्य रेलवे स्टेशनों में से एक है, और इसके जरिए आप रेलवे से यहां पहुँच सकते हैं।  

सड़क

भुवनेश्वर नगर सड़क और यातायात की दृष्टि से अच्छे से जुड़ा हुआ है और वहां से टैक्सी, ऑटोरिक्शा, और बस सेवाएं उपलब्ध हैं जो आपको मंदिर तक पहुँचा सकती हैं। लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर नगर के केंद्र में स्थित है, और इसका पता नृत्य मंदिर मार्ग, भुवनेश्वर में है। यह नगर मेट्रो और टैक्सी की सेवाओं के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Post

घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग

घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा ,पौराणिक कथा घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा ,पौराणिक कथा 

घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा ,पौराणिक कथा और पहुँचने का मार्ग ( घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग ) भगवान शिव  का एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के आस-पास की गोखर्ण खाडी के किनारे,

एकंबरेश्वर मंदिर

एकंबरेश्वर मंदिरएकंबरेश्वर मंदिर

एकंबरेश्वर मंदिर पौराणिक कथा,इतिहास,आक्रमण और पहुँचने का मार्ग एकंबरेश्वर मंदिर, भारत के तमिलनाडु राज्य में कांचीपुरम शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और पंच भूत