IUNNATI JYOTIRLINGA रंगनाथस्वामी मंदिर

रंगनाथस्वामी मंदिर

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श्री रंगनाथस्वामी मंदिर इतिहास,पौराणिक कथा,वास्तुकला और पहुँचने का मार्ग

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर, भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है और सर्वाधिक महत्वपूर्ण विष्णु मंदिरों में से एक है। यह मंदिर श्रीरंगम नामक एक प्रसिद्ध नगर में स्थित है और दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।

इतिहास ( रंगनाथस्वामी मंदिर )

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला के शैली में किया गया था और इसे श्रीरंगम नगर के मध्य में स्थापित किया गया था। यह मंदिर विभिन्न कालों में निर्माण किया गया और अपनी महानता और श्रेष्ठता के लिए प्रसिद्ध है।

वास्तुकला ( रंगनाथस्वामी मंदिर )

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी विशालकाय संगठन, अत्यधिक शिल्पकला की सजावट, और अद्वितीय आर्किटेक्चरल डिज़ाइन इसे विशेष बनाते हैं। मंदिर के प्रमुख गोपुरम्स (द्वार) और मंदिर की अंतःकलश संगठन की अद्वितीयता को दर्शाते हैं।

पौराणिक कथा

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर की पौराणिक कथा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार, एक समय की बात है जब ब्रह्मा द्वारा सृष्टि के लिए यज्ञ किया जा रहा था। इस यज्ञ में विष्णु भगवान का अलग आयाम था, जिसे ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती ने आत्मानंद में डूबे हुए नहीं देखा। सरस्वती ने अपनी अनुपस्थिति के कारण अपनी असंतुष्टि व्यक्त की और उन्होंने यज्ञ को छोड़ दिया।

 यह भगवान शिव के क्रोध को भड़काने वाला संघर्ष बन गया। शिव ने अपने त्रिशूल से ब्रह्मा को संकोच करने का आदेश दिया और उन्हें वाराणसी (काशी) में रंगनाथस्वामी  की मूर्ति की जरूरत का सुझाव दिया। इसके बाद, ब्रह्मा ने यहां मंदिर की मूर्ति स्थापित की और शिव का प्रतिष्ठान किया। इस प्रकार, श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण हुआ और यह एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया।

श्री रंगनाथस्वामी के ऊपर काफ़ी बार आक्रमण हुए है और मुग़लिया लोगो ने भी इसको काफ़ी बार नष्टक करने का प्रयत्न किया –

 

मुघल साम्राज्य के आक्रमण

मुघल साम्राज्य के कुछ समय के दौरान, श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को आक्रमण का शिकार होना पड़ा था। मुग़ल आक्रमणकारी सेना ने मंदिर को बर्बाद किया और उसके संरचनात्मक अंगों को नष्ट किया था।

विजयनगर साम्राज्य का जीर्णाउद्धार

विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को पुनर्निर्माण किया और उसे पुराने समृद्ध गौरव से लैस किया। वे मंदिर को पुरानी संस्कृति और कला को पुनः विकसित करने का प्रयास किया।

ब्रिटिश शासन के दौरान जीर्णाउद्धार

ब्रिटिश शासन के काल में, श्री रंगनाथस्वामी मंदिर को संरचनात्मक और धार्मिक दृष्टि से जीर्णाउद्धार करने का कार्य किया गया। मंदिर के भव्यता को बनाए रखने के लिए कई सुधार किए गए।

मंदिर पहुँचने के मार्ग-

1.रेलवे स्टेशन -

श्रीरंगम रेलवे स्टेशन मंदिर से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप ऑटोरिक्शा, रिक्शा या टैक्सी का इस्तेमाल करके मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

2.बस स्टैंड से-

श्रीरंगम बस स्टैंड से भी मंदिर लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर है। आप यहां से भी ऑटोरिक्शा या रिक्शा का इस्तेमाल कर सकते है।

3.हवाई जहाज़ से

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर के सबसे निकटतम हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली वायुयान सेवा केंद्र (Tiruchirappalli Airport – TRZ) है। यह अड्डा श्रीरंगम से लगभग 7-8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप इस हवाई अड्डे के माध्यम से श्रीरंगम तक पहुंच सकते हैं।

Ranganathaswamy Temple :

Located in Srirangam, Tiruchirapalli, Tamil Nadu, India, the Ranganathaswamy Temple is a Hindu temple devoted to Ranganatha, a manifestation of Vishnu. Built in the Dravidian architectural style, the temple is renowned as the foremost of the  Divya Desams devoted to the god Vishnu and is honoured by the Tamil poet-saints known as the Alvars in their canon, the Naalayira Divya Prabhandam One of the biggest religious complexes in the world, the Srirangam temple is the largest temple compound in India

Over the ages, several of these buildings have undergone reconstruction, expansion, and renovation to serve as living temples. The outer tower, which stands about metres (240 feet) tall, is the most recent addition. It was finished in 1987 The Srirangam

The temple is spread across 63 hectares (155 acres) and features numerous water tanks built into the structure along with 81 shrines, 21 towers, and pavilions. 

The temple town offers a historical window into the early and mid-medieval South Indian civilization and culture, making it an important archaeological and epigraphical site. A multitude of inscriptions indicate that this Hindu temple functioned not just as a centre of spirituality but also as a significant economic and philanthropic establishment that managed educational and medical services, ran a free kitchen, and used the gifts and donations it received to fund area infrastructure projects.

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