बृहदेश्वर मंदिर
तंजौर(तमिलनाडु)
तंजावुर में स्थित बृहदेश्वर मंदिर 11वीं सदी का है। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। मंदिर को दुनिया का सबसे पहला ग्रेनाइट मंदिर कहा जाता है।
इस मंदिर का शिखर ग्रेनाइट के 80 टन के कड़े से बना हैं। इसका निर्माण ईस्वी सन् 1003-1010 के बीच चोल वंश के प्रमुख शासक प्रथम राजराज चोल (985-1014 ई.) ने करवाया था।
उनके नाम पर इसे राजराजेश्वर मंदिर का नाम भी दिया जाता है। चोल वंश ने 400 वर्ष से भी अधिक समय तक तमिलनाडु में शासन किया था। इस दौरान तंजावुर ने बहुत तरक्की की थी।
मंदिर अपने समय की विश्व की विशालतम संरचनाओं में से एक गिना जाता है। 13 मंजिला बने इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 66 मीटर है। मंदिर भगवान शिव की आराधना को समर्पित है।
मंदिर में एक विशाल शिवलिंग और पत्थर का बनाया गया एक विशाल नंदी है। मंदिर में विशाल तोरण और मंडप हैं। मंदिर को आधार से चोटी तक नक्काशी से सजाया गया है। मंदिर का मुख्य आकर्षण इसके गुंबद की परछाई नहीं बनना है। इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका है।