IUNNATI JYOTIRLINGA बाबा खेतानाथ जीवनी

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बाबा खेतानाथ के जीवन से जुड़ी प्रमुख बातें उनका जन्म,मृत्यु,शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

बाबा खेतानाथ जीवनी

बाबा खेतानाथ एक अद्भुत,साहसी और  चमत्कारी संत
 
बाबा खेतानाथ का जन्म महेंद्रगढ़ ज़िले के गाँव सिहमा में हुआ था। इनके पिता का नाम रामसिंह यादव व माता का नाम मीना देवी था। 
 
इनका जन्म कार्तिक माह की गोपाष्टमी विक्रम संवत् 1973 सन् 1916 में हुआ था।
महेंद्रगढ़ ज़िले के सीहमा गाँव में 51 फीट ऊँची मूर्ति स्थापित है। बाबा की मान्यता महेंद्रगढ़ ज़िले व इससे लगते आसपास के इलाक़े में बहुत ही अत्याधिक है।
 
शिक्षा के क्षेत्र में इनके योगदान को देखते हुए हरियाणा व राजस्थान की सरकार ने इनके नाम पर कॉलेज खुलवाए
 बाबा के नाम से नारनौल में बाबा खेतानाथ आयुर्वेदिक मेडिकल  कॉलेज की स्थापना भी की गई है। बाबा खेतानाथ के नाम से पॉलीटेक्निक कॉलेज नारनौल की स्थापना की गई है।बाबा खेतानाथ के नाम से महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय भीतेडा बहरोड़ अलवर राजस्थान में है। 
 
सीहमा गाँव में लगभग सभी दुकानों के नाम बाबा खेतानाथ के नाम से है। हर वर्ष बाबा खेतानाथ के नाम से गाँव में मेले व देशी घी के भंडारे का कार्यक्रम किया जाता है।
 
निमराना राजस्थान में बाबा खेतनाथ के नाम से आश्रम की स्थापना की गई है। जो नारे भाजपा की सरकार अभी लगा रही है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ बाबा खेतानाथ ने बहुत पहले महिला शिक्षा पर ज़ोर दिया था।
बहरोड़ का महिला पीजी कॉलेज,महिला शिक्षण संस्थान   व अनेक महिला शिक्षण संस्थान खोले। नारनौल शहर में चल रहा राजकीय महिला बहुतकनिकी संस्थान व पीजी महिला कॉलेज भी इन्ही की देन है। 
1932  में बाबा ने वैराग्य भाव के चलते इन्होंने घर त्याग दिया। 
1936 में बाबा मस्तनाथ आश्रम अस्थल बोहर रोहतक में संत जयलाल नाथ से दीक्षा लेकर संत पथ पर आगे बढ़े। 
 
 खेतानाथ ने अपना समस्त जीवन अध्यात्म और समाज के  लिए दिया। बाबा खेतनाथ ने समाज सुधार और जागरूकता का कार्य आज़ादी के आंदोलन से शुरू किया। इन्होंने महेंद्रगढ़ ज़िले में लोगो को जागरूक किया।
 
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के बाद पूरे देश में आज़ादी के लिए मन में भावना तेज हुई और इसी भावना को बाबा ने समझा और लोगों का नेतृत्व किया। आंदोलन में सकीर्य होने पर बाबा ने कई बार नारनौल, नाभा,पटियाला,भटिंडा और फ़रीदकोट की जेलों में बंद भी हुए। 
 
15 अगस्त 1947 को जब देश आज़ाद हुआ तब बाबा खेतानाथ ने नारनौल चौक पर तिरंगा फहराया। 
 
आज़ादी के बाद भी खेतानाथ ने समाज हित में कार्य किए। बाबा ने जातिप्रथा का विरोध किया। हरियाणा और राजस्थान में बाबा ने अपना समाजोत्थान का कार्य निरंतर जारी रखा और यही बाबा की कर्मस्थली बन गई। 
 
वर्ष 1956 में बाबा ने बीजवाड़ चौहान के मिडिल स्कूल को उच्च माध्यमिक विद्यालय में करवाया और एक बड़े भवन का निर्माण भी करवाया। बाबा खेतानाथ ने अपने पूरे जीवन में समाज के लिए अनेकों कार्य किए।उन्हींने अपने जीवनकाल में अनेकों विद्यालय,कॉलेज,औषधालय,आश्रम,छात्रावास,प्याऊ,मंदिर बनवाए।
 
उन्होंने क्षेत्र में पानी की यूसिट व्यवस्था के लिए अनेकों कुएँ खुदवाए, गौशालाएँ बनवाई। ऐसे ऐसे अनगिनत कार्य बाबा खेतनाथ ने हरियाणा और राजस्थान  क्षेत्र में करवाए। 

सामाजिक बुराइयों का विरोध

बाबा खेतानाथ ने अपने जीवनकाल में सामाजिक बुराइयों के अंत के लिए कार्य किया। इन्होंने समाज में फैली गंदी जातिप्रथा,दहेज ,मृत्युभोज के ख़िलाफ़ अवाज उठाई। 
 
वैसे तो बाबा का नाम लोगों के सामने आते ही सबके मन में भांग,गाँजा पीने वाले व्यक्ति का चेहरा सामने आता है लेकिन बाबा खेतानाथ ने इनका विरोध किया और समाज के लोगों को भी इनसे दूर रहने के लिए प्रेरित किया। 
 
बाबा खेतानाथ झाँड़ भूँक से दूर थे अंधविश्वाषों को नहीं मानते थे। बाबा की प्रेरणा से ही क्षेत्र में बड़े बुजुर्गों की याद में धर्मशालाएँ बनवाने का कार्य शुरू हुआ था जो आज भी निरंतर जारी है।
 
बाबा खेतानाथ के कार्यों को देखते हुए उन्हें क्षेत्र का कुम्भा कहा जाए तो कोई आशचर्य की बात नहीं होगी। 

आध्यात्मिक क्षेत्र

आध्यात्मिक क्षेत्र में भी उनका अहम योगदान है। वे हठयोग,सहजयोग,सम्त्ययोग व अन्य यौगिक क्रियाएँ भी करते थे।  खेतानाथ भक्तियोग,ज्ञानयोग,कर्मयोग के त्रिवेणी थे। 
राजनीति

बाबा खेतानाथ राजनीति में भी सकीर्य रहे थे। मुंडावर पंचायत समिति राजस्थान के अलवर ज़िले के प्रधान रहे थे। 

उन्होंने अटेली विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का मन बनाया। उस समय हरियाणा में चौधरी देवीलाल की लहर चल रही थी। इसलिए चुनावों से पूर्व 1986 में ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने विश्वासपात्र चौधरी बंसीलाल को हरियाणा फतह के लिए केंद्र से वापस हरियाणा बुलाया।

स्व. बंसीलाल ने बाबा मस्तनाथ मठ अस्थल बोहर के महंत चांदनाथ को विश्वास में लेकर बाबा खेतानाथ को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाने के लिए मनाया। गुरुगद्दी के आदेश के सामने  खेतानाथ मजबूर थे और न चाहते हुए भी उन्हें कांग्रेस का प्रत्याशी बनना पड़ा।

बाबा को हरा पाना किसी के बस की बात नहीं थी औ बाबा ने विजयी भव: का आशीर्वाद दिया। और स्वयं चुनाओ से दूर हो गये।र ये बात लोकदल पार्टी के प्रत्याशी कुक्सी गाँव के लक्ष्मीनारायण जी भली भाँति जानते थे इसीलिए ये स्वयं बाबा के पास गये और बाबा ने विजयी भव: का आशीर्वाद दिया। और स्वयं चुनाओ से दूर हो गये।

 
अंतिम समय

बाबा अपने अंतिम समय में राजस्थान के अलवर ज़िले में मस्तनाथ आश्रम जोशीहोडा में 28 दिसंबर 1990 को ब्रह्मालीन हो गए। 

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