बटेश्वर मंदिर के संबंध में सम्पूर्ण जानकारी इतिहास,पहुँचने का मार्ग,भौगोलिक स्थिति
गुर्जर प्रतिहार कालिन बटेश्वर शिव मंदिर, मुरैना
( बटेश्वर मंदिर )
बटेश्वर शिव मंदिर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित है और यहाँ के शिलालेखों के आधार पर, इसका निर्माण 8वीं-9वीं सदी के दौरान किया गया था।
इस स्थान का नाम शायद यहाँ बने सबसे बड़े मंदिर भूतेश्वर मंदिर के नाम पर है, व इसे बटेशर, बटेश्वर तथा बटेसरा के नाम से भी जाने जाते है। यहाँ स्थित वर्तमान मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 2005 में खंडहरों से प्राप्त पत्थरों से पुनर्निर्माण किया गया था।
इस मंदिर का निर्माण प्राचीन भारतीय वास्तुकला के अनुसार किया गया है। मंदिर में विभिन्न बौद्ध संगीतों और साधु-संतों की मूर्तियाँ स्थापित हैं। यहाँ के शिलालेख और मूर्तियाँ मंदिर की ऐतिहासिक महत्व को दर्शाती हैं, धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल हैं।
बटेश्वर में स्थित मंदिर भारतीय संस्कृति और धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर भारतीय और बौद्ध संस्कृति की अनुपमता का सुंदर उदाहरण प्रदर्शित किया गया है।
मंदिर का निर्माण इस क्षेत्र में धर्म के प्रसार और प्रचार के लिए किया गया था। इस मंदिर के पास कई बौद्ध लेखों और सांस्कृतिक धरोहर हैं जो इस क्षेत्र के महत्व को बताते हैं। मंदिर में पाए गए अभिलेखों के अनुसार, यहाँ पर भिक्षुक और ध्यानी बौद्ध भिक्षुओं के विश्राम के लिए एक विशाल मंदिर था।
बटेश्वर मंदिर और उसके आस-पास के परिसर में अन्य प्राचीन मंदिरों और स्थलों के लिए इस क्षेत्र को एक महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। इसका इतिहास और महत्व इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनाते हैं जहाँ लोग धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ शांति और आत्म-विकास के लिए आते हैं।
शिलालेख
बटेश्वर मंदिर के पास कई प्राचीन शिलालेख और प्राचीन भाषाओं के लिखित अभिलेख पाए गए हैं। ये शिलालेख और अभिलेख मंदिर के इतिहास, संरचना, और पूजा प्रथाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। इनमें से कुछ शिलालेख संस्कृत और प्राकृत भाषा में हैं, जबकि अन्य शिलालेख पाली, प्राकृत, और संस्कृत भाषा में हैं।
इन शिलालेखों में मंदिर के निर्माण का वर्णन, दानीकरण के विवरण, धार्मिक प्रथाओं की सूची, और बौद्ध संगीतों के लिए अनुशासन है। शिलालेखों की जाँच और अनुवाद करके, इतिहासकार और पाठक इनके माध्यम से मंदिर के इतिहास को समझ सकते हैं और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन कर सकते हैं।
बटेश्वर मंदिर के बारे में विभिन्न इतिहासकारों ने अपने अध्ययनों और अनुसंधान के माध्यम से अनेक बातें खोजी हैं।
13 वी शताबदी के बाद ये मंदिर मुस्लिम आक्रमणकारिओं द्वारा नष्ट किए गये थे।
उनमें से कुछ प्रमुख
प्रोफेसर माइकल मीस्टर
प्रोफेसर माइकल मीस्टर के अनुसार गवालियर के पास स्थित बटेशर मंदिर के प्रारंभिक मंदिर 750-800 ईसवी के होने के संभावना है। कनिंघम के विवरण के अनुसार एक अभिलेख पर 1107-1050 अंकित था।
दाविद जेफर्स
दाविद जेफर्स ने बटेश्वर मंदिर के स्थानिक इतिहास और विश्लेषण पर अध्ययन किया है। उन्होंने मंदिर के विभिन्न भागों की संरचना, वास्तुकला, और ऐतिहासिक महत्व को विस्तार से वर्णित किया है।
सुभाष कुलश्रेष्ठ
सुभाष कुलश्रेष्ठ भारतीय ऐतिहासिक और संस्कृति के प्रसार में विशेषज्ञ हैं। उन्होंने बटेश्वर मंदिर के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया है और उसके इतिहास को समझने में मदद की है।
राजेश्वरी पाटील
राजेश्वरी पाटील ने भारतीय प्राचीन इतिहास और संस्कृति पर कई गहरे अध्ययन किए हैं। उन्होंने बटेश्वर मंदिर के प्राचीन समय के धार्मिक और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य को विश्लेषण किया है।
इन इतिहासकारों के अध्ययन और लेखों से, हम मंदिर के इतिहास, संरचना, और महत्व को और भी अधिक समझ सकते हैं। उनके अध्ययन और अनुसंधान ने बटेश्वर मंदिर के विभिन्न पहलुओं को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बटेश्वर मंदिर पहुँचने के लिए आप मध्य प्रदेश के मुरैना जिले से निम्नलिखित मार्ग का पालन करके आप मंदिर तक पहुँच सकते हैं:
रेल
आप मुरैना जंक्शन रेलवे स्टेशन जो कि बटेश्वर मंदिर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है।वहाँ से आप आसानी से मंदिर पहुँच सकते है।
बस
मुरैना से बटेश्वर तक बस सेवा उपलब्ध है। आप मुरैना से बस पकड़कर बटेश्वर मंदिर तक जा सकते हैं।
व्यक्तिगत वाहन
आप अपने व्यक्तिगत वाहन का उपयोग करके भी मंदिर पहुँच सकते हैं। मुरैना से बटेश्वर तक गाड़ी या टैक्सी की सेवा उपलब्ध है।
हवाई
आप ग्वालियर हवाई अड्डे से भी मुरैना तक आ सकते हैं, जो मंदिर के निकटतम है।
इन विभिन्न विकल्पों में से आप अपनी सुविधा के अनुसार चुन सकते हैं और मंदिर तक पहुँच सकते हैं।बाक़ी अधिक सुविधाजनक सफ़र के लिए आप गूगल नेविगेशन का प्रयोग कर सकते है।
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