IUNNATI NAVRATRI नवरात्रि तीसरा

नवरात्रि तीसरा

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नवरात्रि का तीसरा दिन

पूजा विधि, मंत्र, विशेषता
 
नवरात्रि के तीसरे दिन माँ चंद्रघन्टा की पूजा की जाती है। इस दिन माँ चंद्रघन्टा को प्रसन्न करने के लिए भक्तों ने उन्हें धूप, दीप, चावल, फूल आदि से पूजा की जाती है। माँ चंद्रघन्टा को दस हाथों वाली सुंदर स्वरूप में पूजा जाता है और उनका ध्यान रखा जाता है कि वे सभी सदैव हमेशा भले में रहें। इस दिन के आरम्भ पर ही मां के भक्त अपने मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।

माँ चंद्रघंटा का स्वरूप ( नवरात्रि )

माँ चंद्रघन्टा का स्वरूप बहुत ही सुंदर और प्रेरणादायक होता है। वह दस हाथों वाली देवी होती हैं, जिनमें से हर हाथ में एक अलग-अलग वाहन होता है। उनकी चेहरा शांति और प्रकाश से परिपूर्ण होती है। माँ चंद्रघन्टा के मुख पर हमेशा मुस्कान होती है और उनकी आँखों में दया और शांति की किरणें दिखाई देती हैं।

उनके सिर पर चंद्रमा का मुख होता है, जिसे वह चंद्रघण्टा कहलाती हैं। इसके अलावा, उनके परिधान भी बहुत ही सुंदर होते हैं, और उन्हें रत्नों और मुख्यतः चंद्रमा के चिन्हों से सजाया जाता है। माँ चंद्रघन्टा का यह स्वरूप भक्तों को शांति, सौभाग्य, और संजीवनी शक्ति की आशा देता है।

माता अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं इसलिए उनके हाथों में धनुष, त्रिशूल, तलवार और गदा होती है। देवी चंद्रघंटा के सिर पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र नजर आता है, इसी वजह से श्रद्धालु उन्हें चंद्रघंटा कहकर बुलाते हैं।

पूजा विधि

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा पूरी विधि विधान से करनी चाहिए। माता के मंत्र “🕉️ देवी चंद्रघंटायै नमः “ का जाप कर आराधना करनी चाहिए। मंत्र के जाप के बाद माता को पुष्प , गंध ,धूप अक्षत समर्पित करें।
 
माता को दूध से बनी आप कोई भी मिठाई का भोग लगाएँ। पाठ के दौरान आप दुर्गा चालीसा और दुर्गा आरती का गान करें ।

माता की कथा

जब दैत्य स्वर्गलोक पर आक्रमण करके देवताओं को परास्त करने की सोच रखें हुए थे तब मां चन्द्रघण्टा असुरों के विनाश हेतु मां दुर्गा के तृतीय रूप में अवतरित होती है और भयंकर दैत्य सेनाओं का संहार करके देवताओं को विजयी बनाती है।

माँ चंद्रघंटा का मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
 प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
 या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ चंद्रघंटा जी की आरती
जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।
 पूर्ण कीजो मेरे काम॥
 
 चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
 चन्द्र तेज किरणों में समाती॥ 
 
मन की मालक मन भाती हो। 
चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
 
 सुन्दर भाव को लाने वाली। 
हर संकट में बचाने वाली॥ 
 
हर बुधवार को तुझे ध्याये। 
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
 
 मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। 
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥ 
 
शीश झुका कहे मन की बाता।
 पूर्ण आस करो जगत दाता॥ 
 
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
 कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥ 
 
नाम तेरा रटू महारानी। 
भक्त की रक्षा करो भवानी॥

Third-Day of Navratri

 On the third day of Navratri, Maa Chandraghanta is worshipped. On this day, devotees worship Maa Chandraghanta with incense, lamps, rice, flowers, etc. to please her. Maa Chandraghanta is worshipped as a beautiful figure with ten hands and it is taken care of that all of them are always in good health. At the beginning of this day, devotees of the Mother pray for their wishes.

Form of Maa Chandraghanta

 The form of Maa Chandraghanta is very beautiful and inspiring. She is a goddess with ten hands, with a different vehicle in each hand. Her face is full of peace and light. Maa Chandraghanta always smiles on her face and rays of kindness and peace are seen in her eyes. She has the face of the moon on her head, which is called Chandraghanta. Apart from this, her attire is also very beautiful, and she is decorated with gems and mainly the symbols of the moon. This form of Maa Chandraghanta gives hope of peace, good luck and Sanjivani Shakti to the devotees. Mother removes the sorrows of her devotees, so she has a bow, trident, sword and mace in her hands. A bell-shaped half-moon is seen on the head of Goddess Chandraghanta, which is why she is called Chandraghanta. 

Puja Vidhi

On the third day of Navratri, Maa Chandraghanta, the form of Maa Durga, should be worshipped with full rituals. 
 
One should worship by chanting the mantra of the mother 
“🕉️ Devi Chandraghantaye Namah”. 
 
After chanting the mantra, offer flowers, fragrance, incense and Akshat to the mother. You will offer any sweet made from milk to the mother. During the recitation, you should sing Durga Chalisa and Durga Aarti. Story of the Mother When the demons were thinking of defeating the gods by attacking heaven, then Mother Chandraghanta incarnates as the third form of Mother Durga to destroy the demons and make the gods victorious by killing the fierce demon army.

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