नवरात्रि विशेष (भारतीय नववर्ष की शुरुआत )
नवरात्रि का पहला दिन
माता शैलपुत्री की पूजा नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। यहां माँ शैलपुत्री की पूजा की विधि और विशेषताएं हैं:
पूजा की विधि
पूजा की शुरुआत करने से पहले, पूजा स्थल को साफ़ करें और उसे सजाएं।
माँ शैलपुत्री की मूर्ति के सामने ध्यान करें। अगर मूर्ति नहीं है, तो शैलपुत्री मंदिर या प्राकृतिक पत्थर का उपयोग करें।
धूप, दीप, फूल, और पुष्पांजलि का आराधनीय समय चुनें।
माँ शैलपुत्री की पूजा करते समय, आवाहन मंत्र, आरती, और भजनों का पाठ करें।
शैलपुत्री माँ को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) और फल भोग अर्पित करें।
पूजा के बाद प्रसाद बाँटें और ध्यान करें कि माँ शैलपुत्री आपके सभी मनोकामनाओं को पूरा करें।
विशेषताएं
माँ शैलपुत्री का नाम उनके पिता राजा हिमवान के नीचे स्थित पर्वत के निवास स्थान (शैल) से प्राप्त हुआ है।
इनकी मूर्ति में उन्हें त्रिशूल और कमल के साथ दिखाया जाता है।
शैलपुत्री माता को नवरात्रि के पहले दिन नियमित और भक्तिभाव से पूजने से भक्त को भगवान की कृपा मिलती है और समस्त कष्ट दूर होते हैं।
पहला नवरात्र माँ शैलपुत्री की कथा
माता शैलपुत्री की कथा बहुत प्राचीन है और पुराने पुराणों में विवरण मिलता है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, एक समय में राजा हिमवान नामक राजा थे, जिनकी पत्नी का नाम मेना था। वे बड़े ही धर्मात्मा और उदार थे, लेकिन एक बार वे अत्यंत विषयस्नेही हो गए थे।
वह अपनी पत्नी के साथ उत्तम जीवन व्यतीत करते थे, लेकिन उनकी अकेले में भूखा रहने की आदत उन्हें अत्यंत चिंतित करती थी।
एक दिन, जब राजा हिमवान और रानी मेना वन में सैर कर रहे थे, तो उन्हें एक सुंदर बाली वीरगधा नजर आया। बाली वीरगधा की खोज में,
राजा और रानी ने एक विशाल पर्वत के नीचे एक भव्य मंदिर में माता पार्वती की पूजा की। उन्होंने इस मंदिर में उनकी आराधना की और ब्राह्मणों को धन और समृद्धि के साथ दान दिया।
प्रभावित होकर, राजा हिमवान ने ब्राह्मणों के साथ एक महान यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ के दौरान, उन्हें एक दिव्य ध्वज में आवाहित किया गया,
जो एक पर्वतीय आवाज़ के साथ प्रकट हुई, जो कहती थी, “जो मुझे पूजेगा, वह मेरे शक्तियों को प्राप्त करेगा।”
ध्यान और धर्म के साथ, राजा हिमवान और रानी मेना ने मां दुर्गा की पूजा की और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना की। प्रभावित करते हुए,
मां दुर्गा ने अपनी एकादश रूप में प्रकट होकर अपनी आशीर्वाद दिया। पहले रूप के रूप में, उनका नाम शैलपुत्री था, जो उनके पिता के पर्वतीय निवास के कारण जानी जाती हैं।
उनके प्रकट होने पर, राजा हिमवान ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उनकी पूजा की। इस प्रकार, माता शैलपुत्री को पूजने के लिए नवरात्रि का पहला दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है।
माता शैलपुत्री की पूजा में मंत्र का जाप
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ “Om Devi Shailaputryai Namah॥”
इस मंत्र का जाप करने से माँ शैलपुत्री की कृपा प्राप्त होती है और उनकी आशीर्वाद से समस्त विघ्नों और कष्टों का नाश होता है। यह मंत्र उनकी आराधना में प्रयोग किया जाता है और पूजा के दौरान अनुकरण किया जाता है।
Navaratri
The Hindu celebration of Navaratri, which is colourful and profoundly spiritual, honours the victory of good over evil. Navaratri, a celebration that spans nine nights and ten days, is deeply ingrained in the hearts of people everywhere.
Devotees honour the holy feminine spirit, known as Shakti, in all of its manifestations, including Durga, Lakshmi, and Saraswati, at this auspicious season.
During Navaratri, a variety of goddess manifestations are worshipped each night, along with captivating rituals, devotional songs, and elaborate dance performances like as Garba and Dandiya.
The event also represents the triumph of light over darkness, represented by the goddess Durga’s slaying of the demons.
Along with being a time for religious observance, Navaratri is also a time for joyful celebrations, when communities gather together to
jai mata raani