IUNNATI 4-DHAM द्वारिका धाम मंदिर

द्वारिका धाम मंदिर

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4 धामों में से एक धाम द्वारिका धाम

द्वारिका धाम भारतीय पौराणिक कथाओं में एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जो गुजरात राज्य के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। इसे ‘मोक्षपुरी’ भी कहा जाता है। यहां रुक्मिणी-कृष्ण का निकटतम सम्बन्ध माना जाता है, और इसे उनके आपसी प्रेम की प्रमुख केंद्र माना जाता है।

महत्व

द्वारिका मंदिर

द्वारिका धाम मंदिर, जो भगवान कृष्ण के आवास के रूप में जाना जाता है, इस स्थल का मुख्य आकर्षण है। मंदिर का निर्माण संप्रदायों के अनुसार कृष्ण द्वारा हुआ था।

रासलीला

द्वारिका धाम में भगवान कृष्ण की रासलीला का अनुभव करने का अवसर होता है, जो भक्तों को धार्मिक और आनंदमयी अनुभव प्रदान करता है।

गोमती घाट

यहां पर गोमती नदी के किनारे स्थित घाट पर धार्मिक स्नान किया जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है।

गीता मंदिर

द्वारिका में गीता मंदिर भी है, जो भगवद गीता के श्लोकों का अद्भुत संग्रहालय है।

 

द्वारिका धाम की कुछ मुख्य विशेषताएँ

महत्वपूर्ण तीर्थस्थल

द्वारिका धाम में अनेक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं जैसे कि गीता मंदिर, नर्मदा कुंड, रुक्मिणी कुंड आदि। ये स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ यात्रियों को धार्मिक अनुभव प्रदान करते हैं।

धार्मिक उत्सव

द्वारिका धाम में विभिन्न धार्मिक उत्सव आयोजित होते हैं, जिनमें रथ यात्रा, जन्माष्टमी, होली, और दीपावली शामिल हैं। ये उत्सव भक्तों को समृद्धि और आनंद प्रदान करते हैं।

रुक्मिणी-कृष्ण के विवाह की एक पौराणिक कथा

कथा के अनुसार, रुक्मिणी एक राजपुत्री थी जो भगवान कृष्ण की भक्त थी। उन्हें कृष्ण के विषय में सुनकर बड़ा आकर्षण हो गया था। उनके पिता भीष्मक राजा धार्मिकता के साथ जाने जाते थे।

रुक्मिणी के विवाह का समय आया और उनके पिता ने उनकी शादी राजा शिशुपाल से कर दी। लेकिन रुक्मिणी ने अपने मन से कृष्ण को चुना था। विवाह के पूर्व रुक्मिणी ने कृष्ण को पत्र भेजकर अपनी इच्छा व्यक्त की थी।

कृष्ण ने रुक्मिणी के पत्र को पढ़कर तत्काल द्वारिका पहुंच गए और उनकी इच्छानुसार उनसे विवाह किया। इसके बाद, कृष्ण और रुक्मिणी द्वारिका नगर में राजा और रानी के रूप में निवास करने लगे।

यह कथा द्वारिका धाम के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को अद्वितीय रूप से प्रकट करती है, और भक्तों के बीच इस स्थल के प्रति भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाती है।

वास्तुकला

द्वारिका धाम के वास्तुकला में भारतीय स्थापत्यकला के अद्वितीय तत्व हैं। मंदिर का निर्माण संस्कृति, धार्मिक आदर्श, और वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित है। 

कृष्ण भगवान के आवास के रूप में, इस मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए सच्चे धार्मिक और स्पिरिचुअल स्थल के रूप में किया गया था।

द्वारिका मंदिर का मुख्य गोपुरम उत्तर भारतीय वास्तुकला के अनुसार निर्मित है, जिसमें अद्भुत कार्विंग्स, मूर्तियाँ, और शिलालेख हैं। मंदिर की दीवारों पर भगवान कृष्ण की चित्रण, लीला कथाएँ, और धार्मिक प्रतीक देखने को मिलते हैं।

द्वारिका मंदिर के भीतर भगवान कृष्ण, राधा, बालराम, और उनकी अन्य श्री मूर्तियों की मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन मूर्तियों की विशेषता और विनियमित स्थानीयता ने मंदिर को धार्मिक आध्यात्मिक वातावरण प्रदान किया है।

इसके अलावा, द्वारिका मंदिर के आस-पास कई छोटे मंदिर, कुंड, और धार्मिक स्थल हैं जो भक्तों को धार्मिक प्राकृतिकता का अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं।

द्वारिका धाम पर हुए आक्रमण

मुगल आक्रमण

मुगल साम्राज्य के समय में, द्वारिका को कई बार हमला किया गया। इसमें अकबर, और उसके बाद उसके पुत्र और पोते जहाँगीर और औरंगजेब की शासनकालीन आक्रमण शामिल हैं।

पुर्तगाली आक्रमण

16वीं शताब्दी में, पुर्तगाली लोग द्वारिका को आक्रमण करने के लिए आए। वे यहां पहुंचकर मंदिर और धरोहर को लूट लिया और अन्यायपूर्ण व्यवहार किया।

इस्लामिक आक्रमण:

इस्लामिक आक्रमण के दौरान भी द्वारिका को कई बार हमला किया गया। मुगलों के अलावा, इस्लामिक शासकों ने भी यहां प्रवेश किया और धर्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया।

अन्य आक्रमण

विभिन्न किस्म के आक्रमणों ने द्वारिका को अपने प्राचीन इतिहास में प्रभावित किया है, जिसमें महाराजा जायसिंह II और गुजरात के मराठा शासकों का भी उल्लेख है।

ये आक्रमण न केवल द्वारिका के सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को प्रभावित किया, बल्कि इसकी समृद्धि और उन्नति पर भी असर डाला। 

धार्मिक स्थलों के संरक्षण और संरक्षण के लिए कई प्रयास किए गए हैं ताकि यह महत्वपूर्ण स्थल समृद्ध रह सके।

द्वारिका मंदिर की वास्तुकला मंदिर के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को अद्वितीय रूप से प्रकट करती है, और यह भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव के लिए आकर्षित करती है।

द्वारिका धाम को पहुंचने के मार्ग

हवाई मार्ग

द्वारिका के निकटतम हवाई अड्डा जामनगर है, जो कई अन्य शहरों से सम्बंधित हवाई सेवाओं के माध्यम से संपर्क करता है। जामनगर से द्वारिका की दूरी लगभग 137 किलोमीटर है।

रेल मार्ग

निकटतम रेलवे स्टेशन जामनगर रेलवे स्टेशन है। यहां से आप टैक्सी, बस या अन्य सार्वजनिक परिवहन के माध्यम से द्वारिका पहुंच सकते हैं।

सड़क

द्वारिका राज्य मार्ग संख्या 6 (NH-6) और राज्य मार्ग संख्या 8 (NH-8) से सम्बंधित है। यह राजमार्ग द्वारा द्वारिका पहुंचने का सबसे सामान्य तरीका है। 

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