IUNNATI ADHYATMIK UNNATI जगन्नाथपुरी मंदिर

जगन्नाथपुरी मंदिर

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4 धामों में से एक धाम जगन्नाथपूरी

जगन्नाथपुरी भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित है, और यहां पर जगन्नाथ मंदिर है, जो हिन्दू धर्म के एक प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।

महत्व:

जगन्नाथपुरी मंदिर:

जगन्नाथ मंदिर पुरी का सबसे प्रमुख स्थल है। यहां पर भगवान जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा की मूर्तियाँ हैं।

रथ यात्रा:

हर साल जून या जुलाई में रथ यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें भगवान जगन्नाथ की रथ परेड की जाती है।

प्रवचन और कार्यक्रम:

जगन्नाथपुरी में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और प्रवचन होते हैं, जो आध्यात्मिक और सामाजिक ज्ञान को बढ़ाने में मदद करते हैं।

पर्यटन:

जगन्नाथपुरी एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है, जहां पर्यटक धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव कर सकते है

 

जगन्नाथपुरी एक प्रमुख धार्मिक, सांस्कृतिक, और पर्यटन स्थल है, जो हिन्दू धर्म के आध्यात्मिक महत्व का प्रतीक है।

जगन्नाथपुरी का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसके आसपास कई प्राचीन इतिहासिक घटनाएं घटी हैं। इस स्थान का महत्व भगवान जगन्नाथ मंदिर के निर्माण और उसके विभिन्न समारोहों में छिपा हुआ 

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण

जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वी शताब्दी में हुआ था, जिसे राजा अनंगभीम द्वारा आरम्भ किया गया था। इसके बाद अनेक राजाओं ने इसे विस्तारित किया।

आक्रमण और निर्माण

इतिहास में कई आक्रमण हुए जिसमें मुग़ल, अफगान, ब्रिटिश आदि शासकों ने जगन्नाथ पुरी पर हमला किया। हालांकि मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद यह धार्मिक स्थल पुनः बलिदान और पूजा का केंद्र बन गया।

सांस्कृतिक धरोहर

जगन्नाथ पुरी एक अत्यंत प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर है और यहां के मंदिर, आराधना पद्धति, और परंपराएं एक विशेष महत्व रखती हैं।

जगन्नाथपुरी का मंदिर वास्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है।इस भव्य मंदिर में प्राचीन भारतीय वास्तुकला की शैलियों को अपनाता है और अपने स्वर्णिम शिखर, विशाल संग्रहालय, और दीर्घ चौकों के लिए प्रसिद्ध है।

जगन्नाथपुरी का मंदिर चतुर्भुज आकार का है और उत्तर भारतीय शैली में बनाया गया है। इसके मुख्य गोपुरम विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक विभिन्नताओं को दर्शाते हैं। 

मंदिर की दीवारों पर अनेक छत्रकर और अद्भुत कार्विंग्स देखने को मिलते हैं जो धार्मिक कथाओं और पौराणिक विषयों से संबंधित होते हैं।

इसके अलावा, मंदिर के अंदर कई शिलालेख और वास्तुकला के प्रतीक मूर्तियाँ स्थापित हैं जो भक्तों को आकर्षित करती हैं। 

विशेष रूप से, मंदिर के अंदर जगन्नाथ, बालभद्र, और सुभद्रा की मूर्तियाँ विशेष महत्व रखती हैं और उनके अलावा भी कई धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों का समावेश है।

इस रूपरेखा में, जगन्नाथ पुरी का मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और वास्तुशास्त्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है

पहुँचने का मार्ग

जगन्नाथ पुरी के लिए पहुंचने के कई मार्ग हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:

हवाई मार्ग:

जगन्नाथपुरी के निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर है, जिससे दैनिक विमान सेवाएं उपलब्ध हैं। भुवनेश्वर से पुरी केवल लगभग 60-70 किलोमीटर की दूरी पर है

रेल मार्ग:

जगन्नाथपुरी के पास पुरी रेलवे स्टेशन है, जिससे देश भर से ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। इस स्टेशन से आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा, या बस का इस्तेमाल करके अपने स्थानीय लक्ष्य को पहुंच सकते हैं।

बस मार्ग:

पुरी से अनेक राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC) और निजी ट्रांसपोर्ट सेवाएं उपलब्ध हैं, जो आसानी से प्रमुख शहरों से जगन्नाथ पुरी कनेक्ट करती हैं।

Jagannath Temple

The Jagannath Temple is a significant Hindu temple devoted to Jagannath, a manifestation of Vishnu, one of the three main Hindu deities. It is found in Puri, in the state of Odisha, which is on India’s eastern coast. The main Jagannath temple at Puri was constructed by the legendary King Indradyumna of Avanti, according to temple records. Anantavarman Chodaganga, the first ruler of the Eastern Ganga dynasty, started work on the current temple’s reconstruction in the tenth century, replacing the earlier structures inside the compound, excluding the main Jagannath shrine. Many of the temple rites are derived from the Shabari Tantras, which are derived from Tantric practice, and the Oddiyana Tantras, which are the refined forms of Mahayana Tantras.

History

Per the Kendupatna copper-plate inscription of his descendant Narasimhadeva II, the temple was reconstructed in the tenth century CE by Anantavarman Chodaganga, King of the Eastern Ganga dynasty. Originally a Shaivite, Anantavarman converted to Vaishnavism at some point after 1112 CE, when he conquered the Utkala region, where the temple is situated. An inscription from 1134–1135 CE documents his donation to the temple. As a result, the temple’s construction had to begin after 1112 CE.

Illustration of the Jagannath Temple from the 1877 book L’Inde des rajahs: voyage dans l’Inde centrale et dans les présidences de Bombay et de Bengale
The temple chronicles tell a tale about Anangabhimadeva II’s founding. Various chronicles refer to 1196 as the year of building.

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