घृष्णेश्वर जी महादेव मन्दिर, वेरुल, संभाजीनगर, महाराष्ट्र
महाराष्ट्र का प्रसिद्ध घृष्णेश्वर या घुश्मेश्वर महादेव का मन्दिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिङ्गों में से एक है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएँ इस मन्दिर के समीप ही स्थित हैं। समय-समय पर इस मन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ है, जिसमें अन्तिम जीर्णोद्धार 18वीं शताब्दी में इन्दौर की महारानी पुण्यश्लोका देवी अहिल्याबाई होल्कर जी के द्वारा करवाया गया था।
इस मन्दिर की एक और विशेषता यह है कि 21 गणेश पीठों में से एक पीठ ‘लक्षविनायक’ यहाँ है।
पुरातत्व और वास्तुकला की दृष्टि से यह मन्दिर बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियाँ उकेरी गई हैं। मन्दिर का गर्भगृह 17 गुणा 17 फुट का है, जिसमें एक बड़े आकार का पूर्वाभिमुख शिवलिङ्ग रखा गया है। पत्थर के 24 सुन्दर नक्काशीदार खम्भों के सभामण्डप में भव्य नन्दीकेश्वर स्थापित हैं। सभामण्डप की तुलना में गर्भगृह का स्तर थोड़ा नीचे है। गर्भगृह की चौखट पर और मन्दिर में अन्य स्थानों पर पुष्प-पत्ते, पशु-पक्षी और मनुष्यों की अनेक भाव-मुद्राओं का शिल्पांकन किया गया है।
मन्दिर में अभिषेक और महाभिषेक किया जाता है। सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि और अन्य पर्वों पर यहाँ बहुत बड़ा मेला लगता है।