IUNNATI JYOTIRLINGA घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा ,पौराणिक कथा 

घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा ,पौराणिक कथा 

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घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा ,पौराणिक कथा और पहुँचने का मार्ग ( घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग )

भगवान शिव  का एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के आस-पास की गोखर्ण खाडी के किनारे, घुश्मेश्वर नगर के पास स्थित है। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का ज्ञात होने का इतिहास बहुत प्राचीन है और इसे महाभारत काल से जोड़ा जाता है। इसके निकट एक बड़ी और प्राचीन मंदिर है, जिसमें शिव लिंग स्थापित है।
 
 घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए, आपको मुंबई या पुणे से गोखर्ण खाडी रेलवे स्टेशन पहुंचना होगा, और वहां से आप टैक्सी, बस, या अन्य सार्वजनिक यातायात का उपयोग करके घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग तक पहुंच सकते हैं। घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का मंदिर वास्तुकला में भी बहुत ही प्रसिद्ध है और इसकी आर्किटेक्चर बहुत ही भव्य और समृद्ध है। इसके आस-पास के क्षेत्र में भी कई अन्य धार्मिक स्थल हैं जो दर्शनीय हैं।

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास ( घुष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग )

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है और महाभारत काल से जुड़ा है। यह मंदिर महाराष्ट्र के आस-पास की गोखर्ण खाड़ी के किनारे स्थित है और भगवान शिव को समर्पित है। कथा के अनुसार, महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने पांडवों को युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद, पांच पांडवों और द्रौपदी ने अपने पापों के प्रायश्चित्त के लिए भगवान शिव की तपस्या की थी। इसके बाद, भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और उन्हें अपने शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग का दर्शन कराया। इसके बाद से, घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग उस जगह पर स्थापित हुआ जहां उनकी प्रार्थना की गई थी, और यहां उनकी समस्याओं का समाधान हुआ। 
 
 मंदिर की निर्माण की तारीख का निर्धारण कठिन है, लेकिन कहा जाता है कि इसका निर्माण खड़पादी के वंशीय शासकों द्वारा किया गया था। इसके बाद कई बार मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ, और वर्तमान मंदिर का निर्माण पूर्वी और पश्चिमी चालुक्य राजवंशों के समय में हुआ। मंदिर के इतिहास में कई राजाओं और साम्राज्यों का योगदान रहा है और इसे एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है।

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग की संरचना

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर की संरचना बहुत ही भव्य और समृद्ध है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और महाराष्ट्र के आस-पास की गोखर्ण खाड़ी के किनारे स्थित है। इस मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था, और इसकी संरचना में शैली, शिल्पकला, और संरचना में बहुत ही अद्वितीयता है। मंदिर के प्रमुख भवन का आकार दायरा है और इसमें एक छत होती है जिसमें अलंकृत शिखर होता है। मंदिर के प्रवेशद्वार की संरचना में अद्वितीय शैली और शिल्पकला का उपयोग किया गया है। 

भवन की दीवारों पर अलंकरण, चित्रण, और मूर्तियों का अत्यंत ध्यान दिया गया है। मंदिर के भीतर भी अत्यंत सुंदर और भव्यता से भरा हुआ है। गर्भगृह में भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग स्थापित है, और इसे पूजा और अर्चना के लिए समर्पित किया गया है। भक्तों को दर्शन, पूजा, और ध्यान के लिए अनुमति दी जाती है। मंदिर के आस-पास का क्षेत्र भी सुंदरता से सजा हुआ है, और यहां धार्मिक उत्सव, मेले, और ध्यान के लिए स्थल उपलब्ध हैं। घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर धार्मिकता, शांति, और आध्यात्मिकता की अनुभूति कराता है और यह धार्मिक यात्रा के लिए एक प्रमुख स्थल है।

घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुँचने का मार्ग ( Grishneshwar Jyotirlinga )

1.हवाई मार्ग
निकटतम एयरपोर्ट उसी शहर का होगा जहां से आप घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग जाना चाहते हैं। फिर वहां से आप टैक्सी या कार रेंटल की सेवाएं उपलब्ध हो सकती हैं जो आपको इस स्थान तक पहुंचा सकती हैं। 
2.रेल मार्ग

निकटतम रेलवे स्टेशन तक पहुंचें, फिर वहां से आप टैक्सी, ऑटोरिक्शा, या बस का इस्तेमाल करके आगे की यात्रा कर सकते हैं।

3.बस मार्ग
अन्यत्र जा रहे हों तो आप बस सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। अधिकांश शहरों में घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध होती हैं।
 
 गाड़ी यात्रायदि आपके पास अपनी गाड़ी है, तो आप इसे इस स्थान तक पहुंचने के लिए उपयोग कर सकते हैं। नक्शा और GPS के साथ, यह आपको अधिक आसानी से स्थान तक पहुंचा सकती है।
Grishneshwar Jyotirlinga Temple Temple

The temple of Grishneshwar Jyotirlinga is one of the primary Hindu pilgrimage sites. The entire temple is devoted to Lord Shiva. The temple is located 11 kilometres from Daulatabad in Aurangabad, Maharashtra, next to Verulgaon. which is close to Ellora Caves, a UNESCO World Heritage Site, by less than a kilometre. Other names for this temple include Ghushmeshvar, Ghrshneshvar, and Grishneshvar. One of Lord Shiva’s twelve Jyoti Lings is located in the Grishneshwar temple, and Grishneshwar is regarded as the twelfth and final Jyotirling.

The Delhi Sultanate demolished the temple during the 13th and 14th-century Hindu-Muslim battles. Grishneshwar Temple was often damaged and rebuilt throughout the Mughal-Maratha conflict. During the sixteenth century

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